जमानत के बाद भी अभी जेल से रिहा नहीं हो पाएगा निकांत जैन

 लखनऊ। सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी का संयंत्र लगाने के लिए आईएएस अधिकारी के नाम पर रिश्वत लेने के आरोपी निकांत जैन का जेल से निकलना अब मुश्किल हो गया है। निकांत के खिलाफ वजीरगंज थाने में केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने उसे वसूली के मामले में रिमांड पर ले लिया। एसीजेएम ने आरोपी निकांत को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल में रखने का आदेश दिया है। इसके पहले निकांत और उसके साथी एमए खान के खिलाफ 25 मई को वजीरगंज थाने में वादी हसन रजा अब्बासी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एफआईआर के मुताबिक दोनों ने वादी से पैसों की वसूली की है। इससे पहले भी अब्बासी ने वजीरगंज थाने में वर्ष 2019 में निकांत और उसके दो साथियों एमए खान और ध्रुव कुमार दास के खिलाफ केस दर्ज कराकर बताया था कि वादी सरोसा भरोसा की अपनी जमीन 82 लाख में बेचना चाहता था।

वर्ष 2018 में एमए खान और ध्रुव कुमार उसके घर आए और निकांत को जमीन बेचने के लिए कहा। इसपर वादी निकांत को जमीन 65 लाख में बेचने को तैयार था, लेकिन हसन को सिर्फ 15 लाख रुपये ही मिले थे। इस मामले में मंगलवार को विवेचक ने कोर्ट में हाजिर होकर कोर्ट से निकांत को न्यायिक हिरासत में लेने की मांग की। उल्लेखनीय है कि एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोपों में 20 मार्च से जेल में बंद निकांत को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह ने शुक्रवार को रिहा करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद निकांत की ओर से दो-दो लाख की जमानत और दो लाख का व्यक्तिगत मुचलका दाखिल किया गया। निकांत के जमानतनामों को कोर्ट ने सत्यापन के लिए भेज दिया था। इससे पहले कि निकांत जेल से रिहा हो पाता उसके खिलाफ वजीरगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज हो गई। माना जा रहा है कि पुलिस आरोपी को इस मामले में कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।

विवेचना में उजागर हुई थी पुलिस की लापरवाही
इस पूरे प्रकरण में पुलिस की लापरवाही देखने को मिली। विवेचक ने निर्धारित समय में निकांत को कस्टडी रिमांड पर लेने की अर्जी नहीं दी थी। इसकी वजह से कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी। यही नहीं, 1600 पन्ने की चार्जशीट दाखिल होने के बाद निकांत को जमानत मिली थी। फिलहाल एसआईटी मामले की विवेचना कर रही है।

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